Himachal dry spell impact: हिमाचल प्रदेश में लंबे समय से जारी ड्राइ स्पेल ने जनजीवन और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। प्रदेश में 58 दिनों से एक बूंद भी बारिश नहीं हुई, जिससे कृषि, पर्यटन और पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। मौसम विभाग के अनुसार, 2016 के बाद यह दूसरी सबसे कम बारिश का पोस्ट-मानसून सीजन है। इस साल अक्टूबर और नवंबर में केवल 0.9 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य से बेहद कम है। वहीं मौसम विभाग की मानें तो आने वाले 14 दिनों में पर्याप्त बारिश के आसार कम हैं। किसानों बागवानों को मौसम के इस मिजाज का डर सता रहा है कि कहीं 2024 बिना बारिश और बर्फबारी के न बीत जाए। ऐसे में बागवानी और कृषि पर गहरा असर पड़ेगा। बिजली पानी के संकट की नौबत आएगी। वहीं व्हाइट क्रिसमस और न्यू ईयर की आस लेकर हिमाचल आने वाले सैलानियों के लिए यह मायूसी होगी और पर्यटन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
मौसम विभाग के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि 30 नवंबर और 1-2 दिसंबर को लाहौल-स्पीति, चंबा, कांगड़ा और कुल्लू की ऊंची चोटियों पर हल्की बर्फबारी की संभावना है। हालांकि, अन्य क्षेत्रों में मौसम शुष्क रहेगा।
1-कृषि पर भारी असर
लंबे सूखे की वजह से गेंहू की बुवाई में भी बड़ी कमी आई है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 37% भूमि पर गेंहू की बुवाई हो पाई है। पहाड़ी और मैदानी इलाकों में बुवाई का उपयुक्त समय पहले ही समाप्त हो चुका है, जिससे उत्पादन में भारी कमी की आशंका है।
2-पर्यटन उद्योग प्रभावित:
बर्फबारी के अभाव में हिमाचल का पर्यटन उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। आमतौर पर अक्टूबर के मध्य से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू हो जाती थी, जो पर्यटकों को आकर्षित करती थी। इस बार बर्फबारी नहीं होने से पर्यटन व्यवसायी चिंतित हैं और पर्यटक भी निराश हैं।
3-पेयजल योजनाओं पर प्रभाव:
जल शक्ति विभाग की प्रमुख अभियंता अंजू शर्मा ने जानकारी दी कि पेयजल योजनाओं पर भी सूखे का असर दिखने लगा है। विभाग ने फील्ड से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
4-पर्यावरणीय स्थिति:
शिमला जैसे पर्यटन स्थलों पर भी बर्फबारी का इंतजार है। इस सूखे के कारण स्थानीय लोग और पर्यटक समान रूप से प्रभावित हो रहे हैं।